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            MY LIFE STORY (Part-2)



  Hii दोस्तों -

     मै सुनील अपने इस website पर आप सभी का स्वागत करता हूँ यदि आप लोगो ने इस story का part-1 नहीं पढ़ा है तो दिए गए लिंक पर click कीजिये -

   Link-   my life story

तो दोस्तों अब आगे की story शुरू करते है 
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      दोस्तों 12 की परीक्षा pass करने के बाद मैंने सरकारी ITI के entrence exam लिए form भरा और मैंने exam पास कर लिया और उसके बाद मैंने उस कॉलेज में admission ले लिया और मैं पढने लगा इसी तरह एक वर्ष बीत गए और अब 2012 आ गया और आनंद के शादी के लिए लड़की दिखाई होने लगी और आनंद को एक लड़की पसंद आ गयी और उस लड़की का नाम मेघा था आनंद , मेघा से mobile से बात करने लगा उसे मेघा से बात करते हुए दस बारह दिन बीत गए और आनंद ने मुझे एक बार भी नहीं बताया की उसे लड़की पसंद आ गयी है मुझे इसकी जानकारी मेरे घर के बगल में एक भाभी रहती थी उन्होंने बताया की का हो सुनील तोहके ना पता है की तोहरे दोस्त की शादी तय हो गयी है फिर मैंने कहा भाभी हमके त ना पता है तब भाभी बोली आनंद दिन रात तोहरे साथे रहे न और तोहके ना बताइने तब मै बोला ना तब उसके बाद भाभी बोली आनंद त बडा मतलबी निकले तब मैंने कहा ऐसी बात नहीं है भाभी सायद आनंद मुझे बताना भूल गया होगा उसके बाद मै वहाँ से चला गया और फिर मैं आनंद के पास गया तो मैंने आनंद से पूछा क्या आनंद तुम्हारी शादी पड़ गयी है और तुमने मुझे बताया नहीं तो आनंद ने कहा इसमें बताने वाली क्या बात है शादी तो सबकी होती है इसमें  नई क्या बात है तो मैंने कहा तुम मेरे साथ रहते हो तब आनंद ने कहा क्या हुआ तुमको अपनी सारी बात बताना जरुरी है 
         दोस्तों आनंद की शादी 1 june 2012 को थी और अब उसकी शादी नजदीक आ गयी थी शादी से 10 दिन पहले 22 मई को आनंद ने एक कांड कर दिया आनंद अभी भी मेरे घर पर ही सो रहा था उस समय मई में मेरे घर के सभी लोग गर्मी के कारण छत पर ही सोते थे सिर्फ पापा और छोटे भाई  को छोड़कर मेरी माँ मेरी बहनो के साथ छत पर ही सोती थी और मैं आनंद के साथ अलग खटिये पर सोता था 22 मई को शाम माँ मेरी बहनो के साथ नहीं सोई उस दिन मै मेरे छोटे भाई के साथ नीचे सो गयी और माँ ने मुझे मेरी बहनो का ध्यान रखने को कहा मैं इतने दिनों से आनंद के साथ रहते हुए उसकी प्रत्येक हरकत से परिचित हो गयी है उस दिन आनंद ने हमारी खटिये को मेरी बहनो के खटिये से सत्ता दिया और स्वयं मेरी बहनो के साइड सो गया हाला की दोनों खटिये पर मच्छरदानी लगी हुई थी उस दिन मै आनंद की हरकत को पहचान लिया था और मै उस दिन सोना नहीं चाहता था पर मै सो गया लकिन सोते हुए मेरी एक आदत थी की जब सोता था तो अपने हाथो पर आनंद को सुलाता था उस दिन भी आनंद मेरे हाथो पर सोया हुआ था और रात को करीब दो बजे मेरा हाथ दर्द करने लगा और मेरी नींद गयी और मैंने देखा आनंद की आँखे खुली हुई थी और मैंने आनंद को पुकारा आनंद , आनंद तो वह कोई जवाब नहीं दिया और कुछ समय बाद उसने अपनी आँखे बंद कर ली और सोने का नाटक करने लगा तभी मेरी छोटी बहन बोली भैया हमके दर लग रहा है   मेरी बहन बहुत ज्यादा दर रही थी और मेरी बहन ने कहा भैया जागे रहिये मेरे मन में संदेह बैठ गया था थोड़ी देर बाद आनंद उठकर पेशाब करने गया तो मैंने अपना सक दूर करने के लिए मच्छरदानी के किनारे चेक किया तो मैंने देखा की मच्छरदानी किनारे से थोड़ा दबा नहीं था मैंने उस रात आनंद से कुछ नहीं पूछा क्यों की मै पूरी तरह स्योर नहीं था उसके बाद आनंद आकर सो गया और मै भी सो  गया क्यों की मै जान गया था की अब वह ऐसा कुछ नहीं करेगा अगली सुबह  मेरी बहन ने माँ से कहा मम्मी रात मे मेरे चेहरे पर भूत का हाथ आ रहा था और मै काफी दर रही थी इसलिए मैंने रात में भैया को जागे रहने को कहा जब यह बात मेरी बहन  मेरी माँ को बता रही थी तब मै भी वही पर था अब मेरा सक यकीन में बदल गया था और फिर आनंद को अकेले में बुलाकर उससे यह बात पूछने लगा रात को तुम्ही ने यह हरकत की तो आनंद साफ मुकुर गया तो मैंने कहा मेरी बहन तो बता रही थी की उसके चेहरे पर कोई हाथ फेर रहा था अब आनंद को लगा की उसकी गलती पकड़ी गयी है तो वह मुझसे माफ़ी मांगने लगा कहने लगा मुझे माफ़ कर दो उसके बाद मै घर आया और मैंने माँ को यह बात बता दी और मेरी बहन यह बात जानकर खूब रोने लगी क्यों मेरी बहन भूत के चक्कर में थी अब मेरी बहन जान चुकी थी की यह काम आनंद का है मेरी माँ बहुत गुस्सा थी माँ ने आनंद को बहुत बोला और उसने आनंद से कहा तुमको अपने घर में रहेने के लिए जगा दिया गया और तुम जिस थाली में खाते हो उसी में छेद करते हो उस दिन आनंद खूब रो रहा था और मेरी माँ , मेरी बहन सबसे माफ़ी मांग रहा था इतना सब करने के भी आनंद को घर से जाने को नहीं कहा गया क्यों की 1 जून को आनंद की शादी थी और शादी के बाद वह चला जायेगा पर मेरी बहन इन सब बातो से परेशान थी पर आनंद ने बताया की उसने कुछ नहीं किया है सिर्फ उसने ऊपर के अंगो को छुआ है पर मेरी बहन फिर भी रोये जा रही थी वह कई दिनों तक रोटी रही मेरी बहन अब आनंद को घर में देखना भी नहीं चाहती थी आनंद मुझे अपनी बहन को बुलाने को कहता और मेरी बहन से माफ़ी मांगने को कहता आनंद भी कई दिनों तक रोटा रहा और अंत में आनंद की शादी से पहले हम सभी के कहने पर आनंद को क्षमा कर दिया और उस दिन के बाद मेरी बहने निचे सोने लगी और मै अभी भी  छत पर सोता था पर इन सब बातो का पापा को पता भी नहीं था नहीं तो उसी दिन पापा आनंद को घर से भगा देते 
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       1 june आ गया और आनंद की शादी हो गयी और वह अब अपने घर सोने लगा पर वह हमारे घर आता जाता रहता था अब मै अकेले ही सोता था पर दिन को आनंद के साथ रहता था और अब उसके घर भी जाने लगा था आप लोग जानते ही होंगे की मै कितना शर्मीला लड़का था मै आनंद की पत्नी अर्थात मेघा भाभी से बात नहीं करता था क्योकि मुझे अजनबियों से बात करने में बहुत शर्म आती थी  और जब मैं आनंद के घर जाता मै भाभी से दुरी बनाकर ही बैठता था पर एक दिन जब मैं आनंद के घर गया तो आनंद और भाभी ने मिलकर मुझे अपने बिच में सुला दिया और भाभी ने कहा क्या देवर जी आप कितना सरमते है इसी प्रकार उन दोनों लोगो ने मिलकर भाभी के प्रति मेरा शर्म कुछ कम काम दिया अब भाभी से बाते करते करते अब मुझे उन दोनों से लगाव हो गया एक दिन मेरे गुप्त अंगो में दाद हो गया और मैंने आनंद को इसकी दवा लेन को कहा उसने वह दवा ला दी और रात दो या तीन बजे आनंद ने मुझे फोन कर के मेरे घर आया और मुझे अपने घर ले गया भाभी भी जागकर हम दोनों का इंतजार कर रही थी वहा जाने के बाद आनंद ने भाभी से कहा मेघा जरा देखो तो सुनील के गुप्त अंगो में दाद हो गया है दवा आलमारी से लेकर इसके गुप्त अंगो पर लगा दो तो मैंने कहा नहीं भाभी आप मुझे दवा दे दीजिये मै घर जाकर यह दवा स्वम ही लगा लूंगा तब भाभी बोली क्या देवर जी हम दोनों से क्यों सरमाते है कौन हम गैर है मैंने उन दोनों को बहुत मना किया पर न तो आनंद मन और नहीं भाभी मानी अंत में मैं हार मान कर स्वम को उन्दोनो के हवाले कर दिया उसके बाद भाभी ने मेरा पेंट उतारा और मेरे मेरे गुप्त अंगो पर दवा लगाया उसके बाद आनंद ने कहा मेघा थोड़ा सुनील के गुप्त अंगो को भी मालिश कर दो तो मैं बोला नहीं भाभी आप ने दवा लगा दिया न अब रहने दीजिये पर भाभी नहीं मानी उन्होंने मेरे गुप्त अंगो को मालिश की तथा मेरे साथ sex भी की और मेरे साथ साथ आनंद ने भी भाभी के साथ sex किया इसी प्रकार हम दोनों ने भाभी के साथ कई बार सेक्स किये अब मैं पूरी तरह से खुल चूका था मै अब भाभी से नहीं सरमाता था अब मै पूरी तरह दोनों पर निर्भर था कुछ दिनों बाद अब आनंद को मुझसे जलन होने लगी और आनंद मुझसे सही ढंग से बात भी नहीं करता और वह मुझे भाभी से बात नहीं करने देता था तथा भाभी भी मुझे अपने आप को छूने नहीं देती पर अब मुझे sex की आदत हो गयी थी इस लिए मैं गुस्सा हो जाता क्योकि उन दोनों ने मिलकर ही मुझे सेक्स की आदत लगाई थी जब मै यह बात कहता तो वे दोनों कहते अगर हमदोनो ने तुमको बिगाड़ा है तो अब तो जान गए न अब सुधर जाओ तो दोस्तों आप लोग तो जानते ही होंगे जब किसी व्यक्ति को sex की आदत पकड़ लेती है तो उसे कितना गुस्सा आता है ऊपर से वे दोनों मुझसे सही से बात भी नहीं करते थे पर मैंने धीरे धीरे अपनी इच्छाओ को कण्ट्रोल कर लिया पर आनंद के घर जाना अभी भी नहीं छोड़ा था और आनंद भी मेरे घर आता रहता था एक दिन एक और ने मेरे छोटे भाई को मार दिया और मुझे पता चल गया और मै पूरी तरह से गुस्से में था और मै भी आनंद के साथ गली देते हुए उस औरत के घर गया वह औरत उस समय अपने घर के ग्राउंड में कपडे धो रही थी हम दोनों भी वहा पहुंचे उस और ने अपने पास पड़े पत्थर के टुकड़े को उठाया और आनंद के ऊपर तान दी अब वह आनंद को मारने ही वाली थी की मैंने अपने पास में पड़े शील के लोधे को उठाया और तुरंत एक जोर का प्रहार उस औरत के सर पर कर दिया और उस औरत के सर से तेजी से खून गिरने लगा मैं दर गया कही उस और तो कुछ हो न जाये तभी मेरे गावं की कुछ औरते वहा पर जुट गयी और उन औरतो ने हम दोनों को वहा से चले जाने को कहा और हम दोनों वह से चले गए और उस और ने हम दोनों के खिलाफ मुकदमा चालू कर दिया और हम दोनों में से किसी एक को महीने के अंत में जाकर sign करने थे मैंने कई बार जाकर कचहरी में sing की आनंद एक या दो बार sign करने के बाद कहने लगा हम काहे को sign करू मैंने थोड़े ही मारा है अब मै ही जाकर sign करता था यह मुकदमा एक वर्ष तक चला और फिर सुलह हो गया अब कुछ दिनों बाद आनंद का घर बन रहा था मैंने भी उसके घर बनवाने में उसका साथ दिया और घर की छत पक्की हो गयी पर उसमे से बल्ली और पटरे को अभी भी खोलना बाकि था आनंद आलमारी के रेख पर चढ़ कर बल्ली पतरा खोल रहा था तभी उन बल्लिओ में से एक बल्ली आधे पर से टूट गयी और आनंद की एक अंगुली उन पतरो में फस गया और उसके पीठ के ऊपर उन सबका भार आ गया और धीरे धीरे वह पर बहुत जनता जुट गयी कोई भी आनंद को बचाने उस रूम में नहीं जा रहा था सब लोग दरवाजे के बहार से ही यह दृश्य देख रहे थे यहा तक की उसके बड़े पापा के लड़के भी आनंद को बचाने के लिए नहीं जा रहे थे मै उसी रूम में था मैंने तुरंत एक पतली बल्ली उठाई और बहुत ही सावधानी से आनंद के अंगुली को उसमे से छुड़ाया जिससे की आधी लटकी बल्ली फ़्लके न अब आनंद की अंगुली उसमे से निकल चुकी थी सब लोग मेरी तारीफ कर रहे थे 
          दो या तीन महीने बाद मेघा भाभी के भाई की शादी थी और वह अपने भाई की शादी के दो सप्ताह पहले अपने मैके चली गयी मेघा भाभी के भाई की शादी 21 मई को थी और आनंद यही पर अपने घर पर था आनंद ने 18 मई को फिर से एक और कांड कर दिया उस दिन आनंद मेरे छोटे भाई को अपने bed रूम में बहलाकर ले गया और उसके साथ गन्दी हरकते करने लगा मै आनंद को खोजते हुए उसके घर गया उसके घर जाते ही मैंने उसका यह कारनामा देख लिया और उस दिन मैंने आनंद को कई झापड़ मारा क्योकि यह आनंद की तीसरी गलती थी और यह बात आकर मैंने अपनी माँ को बता दिया और उस दिन माँ ने आनंद को हमारे घर आने से मना कर दी और आनंद का हमारे घर आना बंद हो गया और मैं बिलकुल अकेला हो गया था क्योकि मेरे उतने दोस्त भी नहीं थे और इससे पहले आनंद मुझे किसी से बात भी नहीं करने दे रहा था अब मै अकेले ही अपने सारे काम करने लगा 
         तो दोस्तों अब आगे की story आप लोग  अगले पोस्ट में पढियेगा 
          दोस्तों अगर आप को यह story पसंद आयी हो तो आप लोग मुझे मेरे e-mail पर अपना जवाब भेज सकते है 
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