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मुझे तीन लौंडो ने मिलकर मेरी गार और बुर को सुजाया 
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Hii दोस्तो -
 मै सरिता चौहान आप सभी के लिए एक नई sex story लेकर आयी हूँ यह sex storh शुरू करने से पहले मै अपने प्यारे दोस्तों को अपनी प्यारी बुर की सलामी देती हूँ तथा अपनी प्यारी सहेलियों को ईश्वर से प्राथना करती हूँ की उन्हें जल्दी से लम्बे और मोटे लंड की प्राप्ति हो
         दोस्तों मेरा नाम सरिता है और मै पंजाब के अम्बाला शहर की रहने वाली हूँ देखने में थोड़ी मोटी हूँ पर काफी खूबसूरत हूँ मेरे बूब्स काफी बड़े - बड़े है मेरे गार की size भी काफी चौड़े है और जब मै चलती हूँ तो मेरे गार के दोनों side की मसल्स बहुत ज्यादा हिलती है जिसे देखकर बड़े बड़े संतो के धोती गीली हो जाती है अब मै अपने बुर के बारे में भी कुछ बता दूँ दोस्तों मेरी बुर गुलाब के जैसे लाल और थोड़ी उभरी हुई है और उसके चारो तरफ छोटे - छोटे बाल मेरे बुर की शोभा और बढ़ा देते है जैसे गुलाब के चारो तरफ छोटे - छोटे काटे निकले हो दोस्तों इन सब बातो को पढ़कर आप के मुँह में पानी तो नहीं आ रहा यदि आ भी रहा हो तो अब किया भी क्या जा सकता है मै इतनी दूर आप की कोई भी सहायता नहीं कर सकती हूँ i am very sorry my freinds but do'nt werry. आप की भी जिंदगी में एक दिन वह सुनहरा दिन आएगा जब आप भी अपनी जिंदगी का आनंद लगे दोस्तों मेरा घर काफी बड़ा और दो मंजिला है पर उसमे सिर्फ दो लोग रहते है मै और मेरी दादी, मेरे घर में सात बड़े बड़े कमरे है जिसमे से चार कमरे निचे और तीन कमरे ऊपर है
          दोस्तों अब अपनी इस प्यारी sex story को शुरू करते है दोस्तों यह घटना 2010 की है जब जब हमारे घर में रहने के लिए up से तीन किरायेदार आये हम लोग अपने घर में किसी भी किरायेदार को रखना नहीं चाहते थे पर वे तीनो आकर मदत मांगने लगे और कहने लगे दादी माँ हम बहुत दूर से आये है और कई दिनों से यहां पर भटक रहे है और कोई कमरा भी नहीं मिल रहा है और आप का घर तो काफी बड़ा है आप ही हमें रहने के लिए कोई कमरा दे दीजिये जैसे ही हमें दूसरा कमरा मिलेगा हम यह से चले जायेगे दादी को उन तीनो का व्यवहार काफी अच्छा लगा और दादी ने कहा ठीक है तुम सब यहाँ रह सकते हो पर शाम को नौ बजे से पहले तुम्हे यहाँ आ जाना है और दादी ने उनको निचे वाले एक कमरे को दे दिया ,दोस्तों उन तीनो के नाम सुरेंद्र , अशोक और पंकज था पंकज दिखने में बहुत ज्यादा आकर्षक था तथा उसकी लम्बाई 5 फुट 11 इंच था ! दोस्तों उस समय मै Bsc फाइनल में थी और मुझे प्रतिदिन ground से होकर college जाना और आना होता था जब मै शुबह में जाती थी तो उन मेरी गार को हिलते हुए देख कर उन तीनो के होस उड़ जाते थे मुझे भी बहुत अच्छा लगता था जब वे तीनो मुझे भूखे शेर के जैसे देखते थे मानो अभी नोच कर खा जाये एक दिन मैंने भी उन्हें देखकर मुस्कुरा दिया और उस दिन से उन तीनो के भाव थोड़े टाइट हो गए वे लोग अब मुझपर बोली बोलने लगे और कहने लगे सरिता जी आप बहुत खूबसूरत है आप जब चलती है तो ऎश्वर्या भी फेल हो जाती है मै उनकी बातो को सुनकर मन ही मन बहुत खुश होती थी
       एक दिन पंकज तौलिया पहन कर ground में कपडे सूखाने जा रहा था मै दो मंजिला पर खडी थी उसे देखकर मेरी बुर में पानी आने लगा क्योकि उसने ऊपर कुछ नहीं पहना था निचे मात्र एक तौली लपेटे हुए था और उसमे से उसके लंड का आकर बहुत बड़ा प्रतीत हो रहा था उसका लंड उसमे खड़ा था करीब नौ इंच के आस पास था उसने मुझे देखा और मै मुस्कुराते हुए अपने सर को झुका ली और वह कपडे पसार कर नहाने चला गया और मै अपने कमरे में जाकर अपने बुर में अंगुली करने लगी और अपने बुर की प्यास को शांत की अब मुझे पंकज का लंड भा गया था मै किसी से भी तरह से उससे चुदना चाहती थी और यह भी सोचती थी की कास की तीनो से एक साथ चुडु तो बड़ा मजा आएगा
         एक दिन जब मै कॉलेज से पढ़कर घर वापस आ रही थी तो उन तीनो ने मेरा हाथ पकड़ कर खींच लिया और मुझसे कहने लगे सरिता आप हम तीनो को बहुत अच्छी लगती है और हम तीनो आप से बहुत प्यार करते है मै नखड़े दिखाते हुए कहा ये तुम तीनो क्या बात कर रहे हो क्या तुम तीनो नहीं जानते हो यदि मैंने दादी से तुम तीनो की शिकायत कर दी तो तुम तीनो को यह room छोड़कर जाना होगा अब वे तीनो  थोड़े दर गए थे और उनकी सकल पर बारह बज चुके थे और मै हस पड़ी और वे लोग भी हस पड़े मैंने उन तीनो से कहा मै अभी आती हूँ मै ऊपर अपने कमरे में गयी और अपने कपडे बदले फिर उसके बाद मै दादी के कमरे में गयी दादी अपने कमरे में सो रही थी उसके बाद मै उन तीनो के पास गयी और उन तीनो से कहा दादी सो रही है अब रास्ता साफ है इतना सुनते ही अशोक ने कमरे का दरवाजा बंद किया और फिर तीनो ने मुझे उठाकर अपने bed पर लिटा दिया और फिर उन्होंने कहा अब कार्यकम शुरू करे तो मैंने भी हस्ते हुए हाँ कह दी उसके बाद उन ने अपने कपडे उतारे उसके बाद मेरे कपडे उतारे मै तीन - तीन लंड पाकर बहुत खुश थी सुरेंद्र के लंड की लम्बाई सात इंच , अशोक के लंड की लम्बाई साढ़े सात इंच और पंकज के लंड की लम्बाई नौ इंच थी अशोक ने अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया और मै उसके लंड को अपने मुँह में चूस रही थी अशोक अपना पूरा का पूरा लंड मेरे मुँह में पेल दे रहा था उसका लंड मेरे गले तक पहुंच जा रहा था सुरेंद्र मेरे बूब्स को अपने मुँह में लेकर चूस रहा रहा तथा पंकज मेरी बुर में अंगुली डाल कर चूस रहा था मै आप लोगो से क्या बताऊ मुझे कितना मजा आ रहा था मेरी मुँह से गर्म गर्म सासे आ रही थी और उसके साथ ही मेरे मुँह से आह आह की आवाज आ रही थी मै पुरे जोश में थी कुछ देर चूसने के बाद पंकज ने अपने लंड का सूपड़ा मेरे बुर पर रखा उसका लंड बहुत बड़ा और लगभग तीन इंच मोटा था मैंने इससे पहले कभी भी किसी लड़के से अपनी चुदाई नहीं करवाई थी यह मेरी पहली चुदाई थी पंकज ने मुझे कस के पकड़ा और एक जोड़ का धक्का मारा और उसका लंड तीन इंच तक मेरी बुर में घुस गया और मै चिलाना चाहती थी पर अशोक का लंड मेरे मुँह में होने के कारण मेरी चीख मेरे मुँह में ही दब गयी उसके बाद पंकज ने फिर से एक और दक्का मारा और इस बार उसका लंड पांच इंच तक घुस गया और मै छटपटाने लगी उस समय मुझे ऐसा लग रहा था की अब मेरे शरीर से प्राण निकलने वाला हो मुझे मेरी बुर में बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था मुझे मेरी बुर में कुछ चिप छिपा सा महसुस हुआ मैंने अपनी अंगुली से टच करके देखा तो मेरी अंगुली में खून लगा था अब मुझे पता चला की मेरी सील टूट चुकी थी फिर से पंकज ने एक और जोर का धक्का मारा और उसका पूरा लंड मेरी बुर में घुस चूका था और मेरी आँखों से आंसुओ की धारा बह रही थी मै दर्द के मरे तड़प रही थी और वह बेरहम की तरह मेरी बुर को चोद रहा था उसके बाद अशोक ने मेरे मुँह से अपना लंड निकाला और मै जोर जोर से चिलाने लगी तो सुरेंद्र ने अपने हाथ से मेरा मुँह बंद कर दिया और मुझे पेट के बल लिटा दिया पंकज निचे से मेरी बुर चोद रहा था उसके बाद अशोक आकर मेरे गार में थोड़ा थूक लगाया और फिर अपने लंड का सूपाड़ा मेरी गार की छेद पर रखा और एक जोर का धक्का मारा और उसका आधा लंड मेरी गार में घुस गया अब मुझे बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था मेरी गार और बुर दोनों में मै उनसे अपने आप को छुड़ाना चाहती थी पर मै उन तीनो के हाथो से ऐसे जकड़ी थी की मै कुछ नहीं कर पा रही थी सिवाय रोने के वे लोग लगातर मुझे ऊपर निचे से पेले जा रहे थे लगातार पंद्रह मिनट की चुदाई के बाद मेरा दर्द अब कुछ कम हो गया था अब मुझे छोड़ा आनंद आने लगा था अब मै भी चुदाई में उनका साथ देने लगी थी पांच मिनट की और चुदाई के बाद मै झड़ गयी पर वे तीनो अभी भी नहि झड़ी थी अब सुरेंद्र मेरी बुर में पेल रहा था और पंकज मेरे मुँह में अपना लंड पेल रहा था मै अब बहुत खुश थी क्योकि अब मुझे दर्द नहीं हो रहा था उन्होंने मुझे लगातार 50 मिनट तक पेला और उतनी देर में दो बार झड़ चुकी थी और तीनो एक बार झड़े थे उनलोगो ने उस दिन मुझे ढाई घंटे तक पेला था और अंत में उन्होंने मेरे मुँह पर अपना वीर्य निकाला  था मेरी बुर तीन लंडो से चुदने के बाद एकदम सूज चुकी थी और मेरी गार का छेद चार गुना हो गया था मै सही ढंग से चल भी नहीं पा रही थी उस दिन के बाद मै फिर अगले दिन चुंदी और उस दिन मुझे दर्द नहीं मजा आ रहा था तथा हम लोग रोज दो से तीन बार चुदाई करते है मै रात में दादी के सोने के बाद रोज चुदने के लिए चली जाती हूँ और हम लोग खूब मजे करते है
        तो दोस्तों आप लोगो को यह मेरी sex story कैसी लगी यदि आप को यह पसंद आयी हो तो आप लोग मुझे comment के माध्यम से अपना जवाब भेज सकता हूँ
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