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                      My life story

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         Hii दोस्तों 
         मै अपने life की एक सच्ची story आप लोगो से share करने जा रहा हूँ  इस story को पढ़कर आप लोग सोच में पर जायेगे की कोई इतना ठोकर खाकर कैसे खुशी से अपनी जिंदगी बिता रहा है  
         दोस्तों मै थोड़ा सा अपने बारे में बता दू मै वाराणसी के समीप मिर्जापुर का रहने वाला हूँ और मेरा नाम सुनील है दोस्तों मै देखने में काफी handsome और स्वभाव का बड़ा ही शर्मिला हूँ और इस समय 2019 चल रहा है इस समय मेरी आयु करीब 27 वर्ष की होगी तो आइये अपने story की तरफ आगे बढ़ते है 
         दोस्तों मेरी बर्बादी का सफर 2006  से शुरू होता है जब मै class 9 का एक student था इसके पहले की सभी कक्षाओं में मैंने first division में pass की थी पर उसके बाद मेरे result के marks गिरते चले गए दीपावली का दिन आने वाला था चारो तरफ खुशहाली छायी हुई थी और घरो की रंगाई चल रही थी उसी समय मेरे गावं का एक लड़का जो मुंबई में किसी company में काम करता था जिसकी आयु मुझसे 10 वर्ष अधिक होगी और उसका नाम आनंद  है company से छुट्टी लेकर अपने गांव दीपावली मनाने वापस आया उसका बचपन से ही हमारे घर आना जाना था इस लिए वह वापस आने के बाद हम लोगो के घर वापस घूमने आया company में जाने से पहले वह मेरे बड़े papa के बड़े लड़के मनोज के साथ रहता था आनंद मेरे बड़े पापा के लड़के के साथ पढ़ा हुआ था जिसकी वजह से उसकी दोस्ती मेरे बड़े पापा के लड़के मनोज से हुई थी आनंद के पिता जी की मृत्यु 2000 में हो गयी जिसकी वजह से घर का खर्चा चलाने के लिए उसे company में भागना पड़ा और उस वर्ष वह high school में पढ़ रहा था और उसे वही पर अपनी पढाई रोकनी पड़ी क्योकि वह अपने परिवार का सबसे बड़ा लड़का था और उससे छोटी तीन बहने थी जिसमे से दो की शादी हो गयी थी  
           जब आनंद हमलोगो के घर वापस आया तो मै उसके साथ घूमना शुरू कर दिया और धीरे धीरे उसका साथ मुझे अच्छा लगने लगा और मुझे जब भी मौका मिलता मै उसे मिलने चला जाता मै school से वापस आने के तुरंत बाद उससे मिलने चला जाता इसी प्रकार धीरे धीरे हमारी दोस्ती गहरी हो गयी और उसे एक दिन भी मेरे बिना अच्छा नहीं लगता था लगभग हमारी दोस्ती को दो महीने बीत गए और वह company में वापस जाने का नाम ही नहीं ले रहा था यदि कोई कहता की अब कमाने नहीं जाना है क्या तो आनंद कहता अब यही पर रह कर कोई काम करेगा और उसने धीरे धीरे मनोज का भी साथ छोड़ दिया और वह सिर्फ मेरे साथ रहने लगा था और वह मुझसे अक्सर कहा करता था की सुनील मेरा साथ कभी मत छोड़ना और मुझे भी उससे लगाव हो गया था धीरे धीरे यह वर्ष बीत गया और मार्च का महीना आ गया और मेरी परीक्षा शुरू हो गयी और मै उस वर्ष कम नंबरो से पास हो गया पर पापा ने मुझे डाटा नहीं समझाया की अपनी पढाई पर धयान दो सुनील इस वर्ष तुम्हारा नंबर कितना कम आया है उन्होंने कहा इस वर्ष  तुम्हे 10 की परीक्षा first division से पास करनी है तो मैंने कहा ठीक है पापा !
           अब जून में आनंद के चाचा के बड़े लड़के की शादी थी जिसकी वजह से आनंद के घर में जगह नहीं था इस लिए उसने मुझसे कहा सुनील शादी तक मुझे अपने घर सोने दो तो मैंने कहा चलो मेरे घर पर पापा से पूछ लेना तो वह मेरे घर मेरे साथ मेरे पापा से पूछने के लिए आया और पापा ने है कर दी तो वह बहुत खुश हुआ और अगले दिन वह अपना बिस्तर लेकर मेरे घर आ गया और मेरे ही bed पर मेरे साथ सोने लगा इसी प्रकार शादी ख़ुशी ख़ुशी बीत गयी और शीदी के आठ , नौ दिन बाद पापा ने आनंद से उसके घर जाने को कहा तो वह सबके सामने जोर जोर से रोने लगा और पापा उसे कई बार उसे अपने घर जाने को कहे पर वह रोये जा रहा था तब पापा ने कहा चलो ठीक है यही पर सोना 
              मै अपने पापा के बारे में थोड़ा बता दू पापा हमारे घर पर किसी को आने नहीं देते है क्योकि मेरी दो बहने थी पर पापा मेरे ख़ुशी के लिए उसे मेरे घर पर सोने दिया 
            आनंद मुझेसे कहा करता था की सुनील तुम मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो और मुझे तुम्हारे बिना अच्छा नहीं लगता है अब वह मेरे साथ दिन रात रहता था और अब मै सही ढंग से पढाई भी नहीं कर पाता था और मै अपनों अन्य दोस्तों से बाते करता तो आनंद मुझे उनसे बाते भी नहीं करेने देता और उसे बाते करते हुए देखता तो मुझे मारा भी करता और मुझे दिन भर धूमाता रहता यदि वह मेरे मम्मी और पापा को देखता तो वह कहता पढ़ता नहीं है दिन भर धूमता है और मम्मी मुझे डाटा करती 
             जब आनंद को मेरी जरूरत थी तो वह मुझे बहुत प्यार करता था और जब मै स्कूल पढ़ने जाता और पढ़कर जब मै वापस आता तो वह मुझे सुबह शाम स्कूल छोड़ता और स्कूल से वापस लाता इसी प्रकार दिन बीतते गए और धीरे धीरे exam का समय आ गया और मैने कुछ भी तयारी नहीं की थी क्योकि आनंद मुझे दिन भर अपनी बातो में उलझाया रहता और पापा उसे जब भी उसके घर जाने को कहते वह रोने लगता और पापा उसके रोने से पिघल जाते उसी समय फरवरी के महीने में मुझे गावं की एक लड़की द्वारा एक पत्र भेजा गया और उस लड़की का नाम कविता था उसने वह leter किसी तरह मेरे घर के अंदर उस leter को रख दी और वह later आनंद को मिल गया जिसे पाकर वह बहुत गुस्सा हुआ और वह कह रहा था की अब तो तुमको कविता प्यार करती है अब तो तुम मेरा साथ छोड़ दोगे हमसे क्या मिलेगा वह तो तुम्हारी प्रत्येक इच्छा पूरी करेगी पर मुझे आनंद से इतने दिनों में बहुत ज्यादा लगाव हो गया था जिसकी वजह से मै उसकी हर बातो को मानता था और मै कविता के पत्र का जवाब भी नहीं दे सका कविता मुझसे अनेको बार अपने प्यार का इजहार करने का प्रयास करती पर मै कुछ नहीं कर सका इसी तरह फरवरी का महीना भी बीत गया और मार्च में मेरा exam आ गया और मैंने अपना high school का exam दिया और मेरा exam अच्छा नहीं गया फिर तीन , चार महीने बाद मेरे exam का result आ गया जिसमे मै असफल हो गया पर घर वालो ने मुझे डाटा नहीं बल्कि उन्होंने मुझे प्यार से समझया कहा कोई बात नहीं इस बार फेल हो गए तो क्या हुआ तुम अगले वर्ष पास हो जावोगे अब इस बार जम कर तयारी करना 
         फिर से मैंने high school में admition लिया और इस बार मैने लगातार दो तीन महीने तक जम के high school की तैयारी की पर मै क्या करता मेरी संगति तो एक ऐसे लड़के के साथ हो गयी थी जो सिर्फ अपना स्वार्थ देखता था वह मुझे पढ़ने नहीं देता था रात में जब मै पढ़ने बैठता वह मुझे तंग करने लगता और सभी के सामने बडा रहिस बनता इसी तरह दिन बीतते गए फिर से मैंने high school की परीक्षा दी और इस बार मै पास हो गया पर मै second division से पास हुआ था मेरे marks उतने अच्छे नहीं थे मै उसे अपने  घर से जाने को भी नहीं कह सकता था क्योकि उसके साथ रहते रहते उसकी मुझे आदत सी हो गयी थी किसी प्रकार मैंने ग्यारह की परीक्षा पास कर ली और फिर मैंने 12 में admition लिया और उसी वर्ष आनंद ने भी फिर से 10 वर्षो के बाद फिर से high school में admition लिया जिसकी जिम्मेदारी मेरे ऊपर आ गयी मै उसे कहता कही पर कोचिंग पकड़ लो तो वह कहता मुझे तुमसे पढ़ना है मुझे दुसरो का पढ़ाया हुआ समझ में नहीं आता है मै तुमसे ही पढ़ूगा 
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        मै आप लोगो को एक बात बता दूँ मै शाम को अपने छोटे भाई और बहनो को पढ़ाता था फिर उसके बाद आनंद मुझे पढ़ाने के लिए परेशान करता और जब मै उसे पढ़ाने बैठता तो उसे समझ में नहीं आता या कहिये की ना समझने का नाटक करता मै उसे गणित ही पढ़ता क्योंकि मेरी गणित अच्छी थी और वह ऐसे प्रश्न पूछता जिसका जवाब मै नहीं दे पाता जैसे थीटा को थीटा क्यों कहते है 2 और 2 चार क्यों होता है मै उसे लाइन खींच कर बताता था फिर भी वह कहता मै तो इसे पांच कहता हूँ और मेरे भाइयो और बहनो को पढ़ाते हुए देख उसे जलन होती थी और कहता था अपने भाइयो और बहनो को अच्छा से पढ़ाता है और मुझे बेकार , वह मुझे घंटो डाटा करता था और कभी कभी तो वह मुझ पर हाथ तक उठा देता था मैंने घंटो तक अपसोस करता की मै एक लड़को को सही ढंग से समझा नहीं पाता हूँ मेरा पढ़ना बेकार है और मै उसी तरह रोता रहता पर उसे कोई फर्क नहीं पड़ता 
        और मै अपने पढाई पर ध्यान नहीं दे पाता पर मैंने 12 की परीक्षा किसी तरह से first divition से पास लिया 
       दोस्तों आगे की storyमै अगले post में लिखुगाँ क्यों की यह post काफी लम्बी हो रही थी 
       यदि आप को यह story पसंद आयी हो तो आप हमें अपना जवाब कमेंट के माध्यम से भेज सकते है मेरा E-Mail number-:sunilbindra576@gmail.com है 

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